धनाभाव से जूझ रहे साहित्यकारों के लिए राज्य सरकार की सराहनीय पहल, संस्कृति निदेशालय देगा आर्थिक सहायता
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के उभरते साहित्यकारों, लेखकों और कवियों को एक नई राह देने की पहल की है। धनाभाव के कारण अपनी रचनाओं को प्रकाशित नहीं कर पा रहे लेखकों को अब ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह सहायता लेखकों को अपनी अप्रकाशित पांडुलिपियों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराने के लिए दी जाएगी।
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कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ वही साहित्यकार उठा सकते हैं जो:
- उत्तराखंड राज्य के स्थायी या मूल निवासी हों।
- जिनकी पांडुलिपियाँ अप्रकाशित हैं और आर्थिक तंगी के कारण वे उन्हें प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।
- उन्हें आवेदन के साथ प्रकाशन का कोटेशन (प्रिंटिंग खर्च का विवरण) भी प्रस्तुत करना होगा।
कैसे करें आवेदन?
- आवेदन केवल तब ही किया जा सकता है जब योजना से संबंधित विज्ञापन दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित हो।
- इसके पश्चात इच्छुक लेखक को संस्कृति निदेशालय, देहरादून में आवेदन जमा करना होगा।
- आवेदन में लेखक की पृष्ठभूमि, पांडुलिपि की जानकारी, प्रकाशन का कोटेशन और आवश्यक दस्तावेज़ शामिल करने होंगे।
चयन प्रक्रिया: विभागीय समिति की संस्तुति के आधार पर मिलेगा अनुदान
आवेदनों की जांच संस्कृति निदेशालय की विभागीय समिति द्वारा की जाएगी। समिति द्वारा रचनात्मक गुणवत्ता, साहित्यिक महत्व और प्रस्तुत पांडुलिपि की मौलिकता के आधार पर चयन किया जाएगा। अनुमोदन के बाद लेखक को ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे अपनी पुस्तक प्रकाशित करवा सकें।
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राज्य की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को मिलेगा नया आयाम
यह योजना उन लेखकों के लिए आशा की नई किरण है जो अपने विचारों और साहित्य को समाज के सामने लाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक बाधाओं के कारण रुक गए थे। यह कदम उत्तराखंड की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।